डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर कैसे होता है, किन शेयरों पर डॉलर की कीमतों से हो सकता है असर। रुपये की कमजोरी का क्या असर होगा इकॉनॉमी और शेयर बाजार पर। क्या डॉलर की बढ़ती कीमत सभी शेयरों पर खराब असर ही डालती है? कौन से शेयरों को फायदा होता है डॉलर की बढ़ती कीमतों से यह सब जानेंगे हिंदी में आसानी से। समझते हैं डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर और उसके अन्य सभी आयाम। Read how dollar price effects Share markets in Hindi.



डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर
डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

इस साल लगातार रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर रहा है। निकट भविष्य में इसके और गिरने की संभावना भी हो सकती है। बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों के बीच तेल आयात के कारण डॉलर की बढ़ती मांग रुपये को कमजोर कर रही है। रुपए में कमजोरी के लिए अन्य महत्वपूर्ण कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि है जिसने डॉलर को आकर्षक बना दिया है। इसके अलाव विदेशी निवेश प्रवाह में मंदी के चलते और उच्च घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति ने रुपये पर दबाव बना रखा है।



डॉलर की कीमतों से आप पर असर

रुपये में गिरावट आपके निवेश को कैसे प्रभावित करती है? गिरती रुपये की कीमतों के कारण होने वाली महंगाई को रोकने के लिये आरबीआई ब्याज की दरों को बढ़ा सकती है। उच्च ब्याज दरें लोन लेने वालों के लिये नुकसानदायक हो सकतीं हैं। आपकी गृह ऋण ईएमआई बढ़ सकती हैं। विदेशी यात्रा पर होने वाला खर्च और विदेशी शिक्षा खर्च भी बढ़ेगा।

महंगाई कारक हो सकता है

रुपया महंगा होने के कारण आयात महंगा हो जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव पैदा होता है। आयातित कच्चे माल का उपयोग करने वाले उद्योगों में उनकी कच्ची सामग्री लागत में वृद्धि देखी जाएगी और उनमें से कुछ उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों पर अपना माल बेचेंगे।

एफआईआई पर असर

रुपये में कमजोरी विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) प्रवाह को भी प्रभावित कर सकती है। एफआईआई रुपये कि किमतों में अस्थिरता से चिंतित हो जाते हैं क्योंकि यह इक्विटी में उनके रिटर्न को प्रभावित करता है। रुपये की कमजोरी विदेशी निवेशकों के लिए निवेश को महंगा कर सकती है।

कहां करें निवेश

रुपये के और गरने की उम्मीद के कारण ऐसे उद्योग कौन से हैं जिन पर निवेश किया जा सकता है? निर्यात-केंद्रित कंपनियों के लिए रुपये में गिरावट फायदेमंद हो सकती है। इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल कंपनियों जैसे शुद्ध निर्यातकों को इसका सबसे अधिक लाभ मिलता है।

किन पर होगा खराब असर

दूसरी तरफ ऐसी कंपनियां हैं जिनके बारे में निवेशकों को सावधान रहना चाहिए। कमजोर रुपया ऐसी कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है जिन्हों ने डॉलर में कर्ज लिया हो, पूंजीगत क्षेत्रों की कंपनियां और कच्चे माल को आयात करने वाली कंपनियां। तेल विपणन कंपनियां भी इस समय जोखिम भरा निवेश हो सकतीं हैं। यदि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को खुदरा उपभोक्ताओं को वैश्विक कीमतों में वृद्धि को अनुसार कीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाती तो उनके उधार तेजी से बढ़ सकते हैं जिससे उन पर ब्याज का बोझ बढ़ सकता है। बदले में वह उनके मुनाफे पर असर कर सकता है।

मौजूदा स्तरों से रुपये में और गिरावट का डर अभी भी बना हुआ हो सकता है। हालांकि बड़े विदेशी मुद्रा भंडार की उपलब्धता से आरबीआई मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के माध्यम से रुपये में किसी भी भारी गिरावट को रोकने में मदद करेगा।

यहां हमने डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर और उसके सभी आयामों को समझने की कोशिश की आसान भाषा में।

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