म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है

म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है और इसे कैसे कम किया जा सकता है। शेयर बाजार में सीधे निवेश ना करके अधिकतर निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं जिससे कि उनका रिस्क निवेश में कम हो जाए मगर फिर भी म्यूचुअल फंड के निवेश में जोखिम रहता ही है। आज समझते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है और इसे हम किस प्रकार कम कर सकते हैं। What is risk in Mutual Fund in Hindi.



 Risk in Mutual Fund in Hindi म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है
Risk in Mutual Fund in Hindi म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है

म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है

आपका फायनैन्शल एडवाइजर आपसे कहता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश से आपका बाज़ार में रिस्क कम हो जाएगा मगर हम टीवी पर विज्ञापनों में हमेशा सुनते हैं म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिम के अधीन हैं। वास्तव में यह दोनों ही बातें सच हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे तो आप जानते ही हैं। आपको विस्तार से बताते हैं कि म्यूचूअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है और हम किस तरह इसे कम कर सकते हैं। यहां पढ़ें SIP vs RD in hindi हमारी साइट पर।



म्यूचुअल फंड है जोखिम कम करने का वाहन

आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार की योजनाएं प्रदान करते हैं, इसे निवेश को विविधीकरण या डाइवर्स करने का वाहन भी माना जाता है जिसका अर्थ है कि विविधीकरण की अपनी विशेषता के कारण यह काफी हद तक आपके जोखिम को कम कर देता है। लेकिन याद रखें कि यह आपके जोखिम को पूरी तरह खत्म नहीं करता है इसका मतलब है कि यदि आप म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी बाजार में निवेश करने का निर्णय लेते हैं तो उन बाजारों से जुड़े जोखिम अभी भी आपके निवेश के साथ रहते हैं।

म्यूचुअल फंड का प्रबंधन होता है विशेषज्ञों के हाथ में

हालाँकि म्यूचुअल फंड का प्रबंधन विशेषज्ञों के हाथ में रहता है और वे आपके निवेश के जोखिम को कम कर देते हैं। म्यूचुअल फंड प्रबंधकों का काम है कि बाज़ार में मिल रहे रिटर्न से आपको बेहतर रिटर्न दिलवाए और यदि बाजार नीचे जा रहे हैं तो उसका पोर्टफोलिओ बाजार के जितना नीचे ना जाए, फिर भी वह बाजार के रिस्क को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकता।

जोखिम को कैसे कम करें

अब अगर हम बाजार में मिलने वाले ऊँचे रिटर्न भी प्राप्त करना चाहते हैं और रिस्क से भी बचना चाहते हैं तो यहाँ हम आपको वह तरीके बताते हैं जिनसे आप इस रिस्क को बहुत कम कर सकते हैं।



म्यूचुअल फंड में डाइवर्सिफिकेशन यानि विविधीकरण

आपने अंग्रेजी की यह कहावत सुनी होगी कि कोई भी निवेशक अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखता। यानी अगर आपने अपने सभी अंडे एक ही टोकरी में रख दिए और उस टोकरी को झटका लगा तो सभी अंडे खतरे में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए आप अपने अंडों को बांट कर अलग अलग टोकरियों में रख दें जिससे यदि एक टोकरी को झटका लगे तो बाकी टोकरियों में रखे अंडे बचे रहें। इसी को डाइवर्सिफिकेशन यानि विविधीकरण कहते हैं।

निवेश में डाइवर्सिफिकेशन

यदि आप बाजार में निवेश कर रहे हैं तो बहुत तरीकों से डाइवर्सिफिकेशन कर सकते हैं। एक ही कम्पनी में सारा निवेश ना करें। एक ही उद्योग की कम्पनियों में सारा निवेश ना करें। और ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन करने के लिए अलग अलग मार्केट कैप वाली कम्पनियों में निवेश करें। इसी प्रकार जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो अलग अलग स्कीम और अलग अलग मार्केट कैप में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड में निवेश करें।

SIP द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश

SIP द्वारा निवेश से आप अपने निवेश के रिस्क को बहुत हद तक कम कर सकते हैं। कल्पना कीजिए किसी निवेशक ने एक साथ ₹50000 बाजार में निवेश कर दिए। इसके बाद एक साल तक बाजार में मंदा रहा और बाजार 10% गिर गए। अब उसका निवेरश ₹45000 ही रह गया। यही निवेश यदि उसने ₹5000 मासिक SIP में करवाया होता तो उसे गिरती कीमतों का भी लाभ मिलता और उसका निवेश ₹5000 से नहीं घटता मगर इससे बहुत कम घटता। SIP में निवेश के अपने फायदे जिनसे आप निवेश के रिस्हैंक को कम कर सकते हैं।

लम्बी अवधि का निवेश

लम्बी अवधि का निवेश भी शेयर बाजार में निवेश के खतरों को बहुत हद तक कम कर देता है। बाजार में लम्बे समय तक का निवेश करें और अच्छे रिटर्न की उम्मीद करें।

तो यहां हमने देखा कि म्यूचुअल फंड में निवेश में रिस्क कितना होता है और डाइवर्सिफिकेशन, SIP और लम्बी अवधि तक निवेशित रह कर उसे हम कैसे कम कर सकते हैं।

आगे पढ़ें डाइवर्सिफिकेशन से निवेश में रिस्क कैसे कम करें


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