Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति क्या है हालांकि इसे परिभाषित करना आसान नहीं है. Inflation यानी मुद्रास्फीति का शाब्दिक अर्थ है मुद्रा का फैलना. तकनीकी परिभाषा में ना जाकर मुद्रास्फीति की जानकारी आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं. देखेंगे कि इसका क्या असर होता है लोगों की जेब पर, उद्योगों पर और देश के विकास पर.



Inflation Meaning in Hindi
Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति का अर्थ मुद्रास्फीति शब्द में ही छिपा है. मुद्रा यानी करेंसी और स्फीति यानी बढ़ना, फूलना या फैलना. यानी जब किसी अर्थव्यवस्था में लोगों के पास खरीदने के लिए मुद्रा बढ़ जाती है तो उस अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का बढ़ना कहा जाएगा। यानि जब वस्तुओं की मांग (Demand) बढ़ती है और उसी के अनुसार वस्तुओं की पूर्ती (Supply) नहीं बढ़ती है तो उस स्थिती को  मुद्रास्फीति या Inflation कहते हैं।

Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति क्या है

आइये इसे आसान उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिये एक अर्थव्यवस्था में सब लोगों के पास एक हजार रुपये हैं. वे इसी से एक दूसरे से सामान खरीदते और बेचते हैं. अब यदि इस अर्थव्यवस्था में किसी कारण से एक सौ रुपये और आ जाते हैं और अन्य परिस्थितियाँ नहीं बदलती हैं . अब इस अर्थव्यवस्था में कुल ग्यारह सौ रुपये हो गए. अब वह अतिरिक्त सौ रुपये जो लोगों की जेब में आ गए वे उसके लिए भी मांग (Demand) पैदा करेंगे. इसी मांग के अनुसार पूर्ती (Supply) नहीं बढ़ने के कारण वस्तुओं की कीमतें बढेंगी. इसी वस्तुओं को बढ़ने की गणना को Inflation कहा जाता है.

Reasons of Inflation मुद्रास्फीति के कारण

मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के दो कारण हो सकते  हैं.

मांग जन्य मुद्रास्फीति

जब लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा हो जाता है और वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है तो उसके फलस्वरूप कीमतें बढ़ने लगतीं हैं.

  • सरकारी खर्चों में वृद्धि : सरकार द्वारा गैर योजना व्यय में वृद्धि से जनता के हाथों में व्यय करने के लिए अधिक धन आ जाता है जिससे मांग में वृद्धि होती है.
  • सरकार द्वारा घाटे का बजट :  घाटे के बजट की पूर्ती जब सरकार द्वारा नयी मुद्रा छाप कर की जाती है तो ऐसे में मांग में वृद्धि Inflation को बढ़ाती है.
  • सरकार द्वारा प्रत्यक्ष करों में कमी: यदि सरकार प्रत्यक्ष करों में कमी करती है तो भी लोगों के पास खर्च के लिए हाथ में अधिक धन आ जाता है. यह भी मांग को बढाता है.
  • बैंकों द्वारा ऋण : यदि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में वृद्धि होती है तो भी मांग में वृद्धि होने लगाती है.

पूर्ति में कमी के कारण मुद्रास्फीति

जब सामान्य वस्तुओं की पूर्ति में प्राकृतिक या जानबूझ कर कमी पैदा हो जाती है तो यह Inflation के बढ़ने का कारण बनती है.

  • जमाखोरी : उत्पादन में उतार चढाव के कारण व्यापारियों को जमाखोरी का अवसर मिल जाता है जिसे वस्तुओं की पूर्ति  में नकली कमी पैदा की जाती है.
  • प्राकृतिक आपदा : बाढ़ अथवा सूखे के कारण कृषि उत्पादों की पूर्ति में कमी आ सकती है.
  • लागत में बढ़ोतरी : वस्तुओं के कच्चे माल, मजदूरी की कीमतों में बढ़ोतरी, अधिक टैक्स या ब्याज में बढ़ोतरी जैसी चीजें भी पूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकती है.


Inflation Meaning in Hindi मुद्रास्फीति कैसे गिनते हैं

इसे भी आसानी से समझते हैं. मान लीजिये आज से ठीक एक साल पहले आपने एक कमीज सौ रुपये में खरीदी. आज यदि उस कमीज की कीमत एक सौ पांच रुपये हो गयी है तो उस कमीज के लिए मुद्रा स्फीति पांच प्रतिशत बढ़ गयी. भारत में मुद्रास्फीती का नापने के लिए दो मूल्य सूचकाँक है थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) तथा औद्योगिक श्रमिक हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index). इन सूचकांको की गणना के लिए आम जरूरत की लगभग सभी वस्तुओं की कीमत को लिया जाता है जिनमें शामिल हैं भोज्य पदार्थ, खनिज, बिजली, इंधन, यातायात, चमड़ा, कागज़, लकड़ी, रबर जैसी सैंकड़ों वस्तुओं की कीमतें. जरुरी सामान की लिस्ट को समय के अनुसार  बदला भी जाता है. उदहारण के लिए टाइपराइटर और वीसीआर जैसी वस्तुओं को हटा कर माइक्रोवेव ओवेन, मिनरल वाटर, कंप्यूटर, फ्रिज, डिश ऐन्टेना जैसी वस्तुओं को शामिल करना.

Effects of Inflation मुद्रास्फीति का असर

देखते हैं कि Inflation का असर किन लोगों पर कैसे पड़ता है

गरीब और आय पेशा लोगों पर

आम तौर पर मुद्रास्फीति की हालत का प्रभाव गरीब और आय पेशा लोगों पर अधिक पड़ता है. Inflation मुद्रा की खरीदने की शक्ति को कम करता है। जैसे कैसे कीमतें बढ़तीं हैं, वैसे ही रुपए से खरीदी जा सकने वाली चीजें कम हो जातीं हैं।

संपत्तियों के मालिकों पर

जिनके पास संपत्ति या प्रॉपर्टी है उन लोगों को Inflation का फायदा होता है क्योंकि कीमतें बढ़ने से उनकी संपत्ति की कीमतें भी बढ़ जातीं हैं। इसके उलट यदि कोई प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है तो कीमतें बढने से उसको मनचाही प्रॉपर्टी खरीदने के लिए और अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।

Inflation की हालत में आपके द्वारा किया गया निवेश यदि आपको मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न नहीं देता है तो आपको अपने निवेश में वास्तव में घाटा ही हुआ है.

Inflation पर नियंत्रण

Inflation पर नियंत्रण करने का जिम्मा केंद्रिय बैंक पर होता है। भारत में यह काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी मॉनिटरी पॉलिसी से करता है। RBI ब्याज दरों और CRR दरों को बढ़ा कर मनी सप्लाइ को कम कर सकता है। अधिक Inflation होने से RBI बैंकों  के ब्याज दर  बढ़ा  देता है जिससे लोन लेना महँगा हो जाता है जो कि उद्योगों के विकास में बाधक बन सकता है। इसके विपरीत जब Inflation में कमी आती है तो ब्याज दरों को कम करके विकास को बड़ाने के उपाय किये जाते हैं।

ब्याज की दरें और Inflation

उंचीं ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को कम करती हैं क्योंकि कम लोग ऋण लेते हैं। जब बैंक ऋण देते हैं तो ऋण की वापसी आम तौर पर बैंक खातों में जमा की जाती है जो धन की आपूर्ति का हिस्सा होते हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति ऋण वापस करता है और कोई नया ऋण नहीं लिया जाता है तो बैंक जमा राशि बढ़ती है जिससे धन की आपूर्ति में कमी आती है। इसी प्रकार ब्याज दरों में कमी होने पर अधिक लोग लोन लेते हैं जिससे धन बैंकों से निकल कर लोगों के पास आता है जिससे मुद्रा आपूर्ति बढ़ने लगती है।

आशा है कि Inflation Meaning in Hindi यानी मुद्रास्फीति के बारे में पढ़ने के बाद आपको समझ आ गया हो कि मुद्रास्फीति क्या है और इसे कैसे गिनते हैं. हमारे अर्थशास्त्र में इसका क्या महत्त्व है और Inflation कैसे हमारे विकास पर असर करती है.


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