Floating Stock in Hindi

Floating Stock In Hindi फ्लोटिंग स्टॉक क्या है और इसका क्या महत्व है। जानिये फ्लोटिंग स्टॉक के कम या ज्यादा होने से शेयर की कीमत पर क्या असर हो सकता है। क्या शेयर खरदने से पहले हमें यह भी जांचना चाहिये कि कंपनी का फ्लोटिंग स्टॉक कितना है? साथ ही जानेंगे इसका महत्व और इसे जानना क्यों जरूरी है। कैसे बदलता है इसका आकार और क्या होता है उसका असर।



Floating Stock In Hindi
Floating Stock In Hindi

Floating Stock In Hindi

किसी विशेष स्टॉक के ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों की संख्या को Floating Stock कहते है। फ्लोटिंग स्टॉक की गणना फर्म के कुल बकाया शेयरों से प्रतिबंधित स्टॉक, संस्थाओं के पास शेयर और Closely Held शेयरों को घटाकर की जाती है।

प्रतिबंधित स्टॉक

प्रतिबंधित स्टॉक वह हैं जिनके बेचने पर कुछ नियंत्रण हो औऱ वे बाजार में बेचने के लिये उपलब्ध ना हों।

Closely Held शेयर

Closely Held शेयर वह होते हैं जो कंपनी के प्रोमोटरों, मेनेजमेंट, उनके रिश्तेदारों और मित्रों के पास हो सकते हैं। यह शेयर आम तौर पर बाजार में बिकने के लिये उपलब्ध नहीं होते हैं।



Floating Stock Meaning In Hindi

इस तरह से हम कह सकते हैं कि जो स्टॉक छोटे शेयर होल्डरों के पास होता है और मार्केट में बिकने के लिये उपलब्ध होता है उसे Floating Stock कहेंगे। फ्लोटिंग का शब्दिक अर्थ है सतह पर तैरना। तो यहां कंपनी के जो शेयर बाजार में एक निवेशक से दूसरे निवेशक तक खरीद बिक्री के लिये उपलब्ध हों वही फ्लोटिंग स्टॉक हुआ।

फ्लोटिंग का महत्व

छोटे फ्लोट वाले स्टॉक की कीमत आमतौर पर बड़े फ्लोट वाले स्टॉक की तुलना में अधिक अस्थिर होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि कम शेयर उपलब्ध होने के कारण इसके खरीदार या विक्रेता को ढूंढना कठिन हो सकता है। इसके परिणाम स्वरूप शेयर की कीमतों में अस्थिरता रहती है और शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम भी कम रहता है।

Floating Stock के बारे में जानने योग्य बातें

Floating Stock बकाया शेयरों में से प्रतिबंधित और अंदरूनी या प्रमुख शेयरधारकों के शेयरों को घटा कर निकाले जाते हैं। समय के साथ साथ फ्लोटिंग स्टॉक की संख्या बदल भी सकती है क्योंकि नए शेयर जारी किए जा सकते हैं, शेयर बॉय बैक किये जा सकते हैं या अंदरूनी या प्रमुख शेयरधारक शेयर खरीद या बेच सकते हैं। कम फ्लोट वाले स्टॉक की कीमतों में बड़े फ्लोट वाले स्टॉक की तुलना से अधिक अस्थिरता होती है।



Floating Stock को समझना

यह जानना जरूरी है कि कोई बड़े आकार की कंपनी का Floating Stock भी कम हो सकता है। उदाहरण के लिये यदि किसी कंपनी ने एक लाख शेयर जारी किये हैं और उसमें साठ हजार शेयर निवेश संस्थानों के पास हैं और बीस हजार शेयर मेनेजमेंट और उनके साथियों के पास हैं तो पब्लिक के पास बीस हजार शेयर ही बचे जिन्हें फ्लोटिंग स्टॉक कहा जायेगा।

जानना क्यों जरूरी है

कम फ्लोट आमतौर पर शेयर की तरलता को प्रभावित करती है और इसके सक्रिय ट्रेडिंग में मुशकिल उत्पन्न करती है। ट्रेडिंग गतिविधियों में कमी के कारण उन शेयरों में सही समय और कीमत पर निवेश करना या बेचना मुश्किल हो जाता है। किसी शेयर में निवेश करने से पहले उसके कितने शेयर साधारण निवेशक के लिये बाजार में उपलब्ध हैं यह जान लेना जरूरी है।

बदलाव भी हो सकता है

किसी कंपनी के Floating Stock की मात्रा समय के साथ बढ़ या घट सकती है। ऐसा तब होता है जब कंपनियां अधिक पूंजी जुटाने के लिए अतिरिक्त शेयर जारी करतीं हैं या जब प्रतिबंधित या क्लोजली हेल्ड शेयर बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं। इसके विपरीत कंपनी यदी शेयर बायबैक करती है तो इससे बकाया शेयरों की संख्या घट जाती है जिससे बकाया स्टॉक के प्रतिशत के रूप में फ्लोटिंग शेयर नीचे हो जाएंगे। इसके अलावा स्टॉक स्प्लिट से फ्लोटिंग स्टॉक बढ़ सकते हैं और रिवर्स स्प्लिट से यह कम भी हो सकते हैं।

संस्थागत निवेशक

यह भी जानना जरूरी है कि संस्थागत निवेशक हमेशा किसी शेयर को अपने पास नहीं रखते। किसी भी शेयर में संस्थागत निवेश बदलता रहता है। यदि किसी शेयर को संस्थागत निवेशक लगातार बेचते रहते हैं तो इसका फ्लोटिंग स्टॉक बढ़ जायेगा मगर हो सकता है कि इससे इसकी कीमतों पर नकरात्मक असर पड़े। इसके विपरीत यदि संस्थागत निवेशक किसी शेयर में लगातार निवेश करते हैं तो उसका फ्लोटिंग स्टॉक घट जायेगा मगर हो सकता है कि इससे उसकी कीमतों में सकरात्मक असर पड़े।


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