बैंक और NBFC में अंतर

बैंक और NBFC में अंतर क्या होता है, दोनों के कार्य क्या होते है। और किस तरह से दोनों अलग हैं। बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के मध्य क्या अंतर है और इनसे डील करने से पहले इनकी संरचना, कार्यों और उत्तरदायित्वों को समझ लेना बेहतर है। Bank और NBFC की परिभाषा क्या है और इनके गठन का उद्देश्य क्या है आसान हिंदी में समझते हैं।



बैंक और NBFC में अंतर
बैंक और NBFC में अंतर

बैंक और NBFC में अंतर – महत्वपूर्ण वित्तीय मध्यस्थ

जबकि बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) दोनों महत्वपूर्ण वित्तीय मध्यस्थ हैं, जो ग्राहकों को लगभग समान सेवाएं प्रदान करते हैं। NBFC और बैंक के बीच बड़ा अंतर यह है कि बैंकों के विपरीत एनबीएफसी स्वयं खुद के चेक और मांग ड्राफ्ट जारी नहीं कर सकते है। इन दोनों के बीच भेद का सबसे महत्वपूर्ण बिंदू है कि बैंक देश के भुगतान तंत्र में हिस्सा लेते हैं जबकी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां ऐसे लेनदेन में शामिल नहीं होती हैं।



बैंक और NBFC में अंतर – बैंकों की पूरक हैं NBFC

चूंकि वित्त प्राप्त करना व्यक्ति और व्यवसाय की मूलभूत आवश्यकता है, अकेले बैंक समाज के सभी वर्गों की इस मांग को पूरा नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि लोगों को वित्त प्रदान करने में बैंकों के पूरक के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों में एनबीएफसी अस्तित्व में आईं। मगर फिर भी बैंक और NBFC में अंतर हैं जिन्हें यहां समझते हैं।

NBFC क्या है

एनबीएफसी यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होतीं है और केंद्रिय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित होतीं है। ये संस्थाएं बैंक नहीं हैं लेकिन बैंकों की तरह वे उधार, ऋण और अग्रिम, क्रेडिट सुविधा, बचत और निवेश उत्पादों, मुद्रा बाजार में व्यापार, स्टॉक के पोर्टफोलियो का प्रबंधन, धन हस्तांतरण आदि जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकतीं हैं ।

यह किराया खरीद, पट्टे, बुनियादी वित्त, उद्यम पूंजी वित्त, आवास वित्त इत्यादि की गतिविधियों में शामिल हो सकतीं है। एनबीएफसी जमा स्वीकार करतीं है, लेकिन केवल सावधि जमा। यहां आप NBFC में फिक्स्ड डिपॉजिट के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं।



बैंक की परिभाषा

बैंक वित्तीय संस्थान हैं, जो सरकार द्वारा बैंकिंग गतिविधि करने के लिए अधिकृत हैं जैसे कि जमा स्वीकार करना, क्रेडिट देना, निकासी का भुगतान करना, चेक क्लियर करना और ग्राहकों को सामान्य उपयोगिता की सेवाएं प्रदान करना। बैंक देश की पूरी वित्तीय प्रणाली पर हावी सर्वोच्च संगठन है। यह जमाकर्ताओं और उधारकर्ताओं के बीच वित्तीय मध्यस्थ के रूप में कार्य करते है जो अर्थव्यवस्था की सुचारु गतिविधियों को सुनिश्चित करते है। विस्तार से आप बैंकों के बारे में Bank in Hindi पर पढ़ें।

बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक या विदेशी बैंक हो सकते हैं। वे ऋण बांटने, क्रेडिट देने, जमा करने, सुरक्षित और समयबद्ध धनराशि हस्तांतरण और सार्वजनिक उपयोगिता की सेवाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। एक वाणिज्यिक बैंक का स्वामित्व शेयरधारकों के पास है और वे लाभ के उद्देश्य के लिये कार्य करते हैं।

Bank और NBFC में अंतर – क्लियरिंग सिस्टम

एनबीएफसी भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत आते है जबकि बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकृत है। बैंक भुगतान और निपटान जिसे हम क्लियरिंग सिस्टम भी कहते हैं में शामिल होते हैं मगर NBFC क्लियरिंग सिस्टम में शामिल नहीं होतीं हें। सीआरआर या एसएलआर जैसे रिजर्व रेशो बनाए रखना बैंकों के लिये अनिवार्य है। एनबीएफसी को रिजर्व रेशो बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होती है। जमा बीमा सुविधा बैंकों के जमाकर्ताओं को जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) द्वारा दी जाती है। एनबीएफसी के मामले में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है।

बैंक और NBFC में अंतर यह भी हैं कि एनबीएफसी मुख्य रूप से समाज के गरीब वर्ग को क्रेडिट देने के लिए स्थापित की जाती है, जबकि बैंकों को जमा प्राप्त करने और जनता को क्रेडिट देने के लिए सरकार द्वारा चार्टर्ड किया जाता है। एक बैंक के लाइसेंसिंग नियम एनबीएफसी की तुलना में अधिक कड़े हैं। इसके अलावा, एक बैंक बैंकिंग व्यवसाय के अलावा किसी भी अन्य व्यवसाय को संचालित नहीं कर सकता है लेकिन एनबीएफसी किसी अन्य व्यवसाय को भी संचालित कर सकती है।